Wednesday, November 15, 2017

How to Make The Universe? ब्रह्मांड की उत्पत्ति कैसे हुई? कैसे बना यह ब्रह्मांड?





   हम जो आज हमारे चारों ओर ये पेड़ पौधे देख रहे हैं इन सब का निर्माण सालों पहले हुई एक घटना के कारण हुआ है उस वक्त समय जीरो था अर्थात समय का निर्माण ही नहीं हुआ था।

  ब्रह्मांड की उत्पत्ति से पहले मानवीय समय और स्थान जैसी कोई भी वस्तु अस्तित्व में नहीं थी उस समय सिर्फ एक चमकता हुआ प्रकाश पुंज था जिसे हिंदू धर्म के शास्त्रों में परमात्मा कहा गया है इसी प्रकाश कुंज में से एक छोटा सा बिंदु अलग हुआ इस बिंदु के अलग होने से अत्यधिक ऊर्जा उत्पन्न हुई इस ऊर्जा के प्रवाह के कारण यह बिंदु अपने स्थान पर घूमने लगा और बिंदु का विस्तार होने लगा इस तरह ब्रह्मांड की शुरुआत हुई।

  इस बिंदु के घूमने पर हाइड्रोजन हीलियम आदि के अस्तित्व का निर्माण होने लगा शुरुआती ब्रह्मांड  अत्यधिक घनत्व  और उर्जा से भरा हुआ था उस समय दबाव और तापमान अधिक था यह धीरे धीरे फैलता गया और ठंडा होता गया यह प्रक्रिया कुछ वैसी ही थी जैसे भाप का धीरे धीरे ठंडा होकर बर्फ में बदलना अंतर सिर्फ इतना ही है कि इस प्रक्रिया में मूलभूत कण इलेक्ट्रॉन प्रोटॉन फोटोऑन इत्यादि भी शामिल है उस समय ब्रह्मांड बहुत तीव्र गति से वृद्धि कर रहा था इस स्थिति मे ब्रह्मांड के सारे कण गति कर रहे थे जैसे जैसे ब्रह्मांड का आकार बढ़ने लगा वैसे वैसे तापमान कम होने लगा एक निश्चित तापमान पर ग्लुकान और कार्क ने मिलकर न्यूट्रॉन और प्रोटॉन बना दिये इसी प्रक्रिया के दौरान कण परस्पर फूटने लगे और कणो की संख्या में वृद्धि होने लगी  कुछ समय में इन कणों की आपस में टकराव के कारण उनके प्रति कणों का निर्माण होने लगा एवं कुछ तो एक दूसरे टकराकर खत्म ही हो गए। तापमान के और कम होने के कारण मूलभूत कण आज के रूप में अस्तित्व में आये ।

   जैसे-जैसे ब्रह्मांड ठंडा होता गया पदार्थ की गति कम होती गई और पदार्थ की ऊर्जा गुरुत्वाकर्षण में तब्दील हो गई उस बिंदु के घूमने के कारण जहां पदार्थ एक दूसरे से दूर जा रहा था वही गुरुत्वाकर्षण उन्हें पास खींच रहा था गुरुत्वाकर्षण बल की अधिकता से पदार्थ एक जगह इकट्ठा होकर विभिन्न खगोलीय पिंडों का निर्माण करने लगा इस तरह गैसों के बादल तारे आकाशगंगाओं और अन्य खगोलीय पिंडों का जन्म हुआ जिन्हें आज हम देख सकते हैं। इसी तरह हमारे सौरमंडल  और हमारी पृथ्वी का भी जन्म हुआ जिस पर आज हम जीवन व्यतीत कर रहे हैं।


Tuesday, November 14, 2017

Science is The Cause of Destruction of The Earth. विज्ञान ही पृथ्वी के विनाश का कारण है।

कल हम बात कर रहे थे कि साइंस दुनिया को विनाश की ओर ले जा रहा है। साइंस के द्वारा आविष्कार कलयुग में शुरू हुए और लोगों ने इन आविष्कारों को अपनी जरूरत के हिसाब से इस्तेमाल करना शुरु कर दिया। तो क्या सतयुग, त्रेता युग और द्वापर युग में लोगों की आवश्यकतायें पूरी नहीं होती थी या फिर उन्हें साइंस की आवश्यकता ही नहीं थी। ऐसा कुछ भी नहीं है कलयुग से पूर्व के युगों में मनुष्य जानता था कि विज्ञान के आविष्कार मानव जाति के लिए खतरा बन जाएंगे जो पृथ्वी को  अंत की ओर  धकेल देंगे इसीलिए वह केवल उन्हीं चीजों के आविष्कार करते थे जोकि मानव जाति के लिए हितकर और लाभदायक हो। अगर देखा जाए तो ज्योतिष मे भविष्यवाणियां गलत होने में विज्ञान का भी हाथ रहा है। इसे मैं एक उदाहरण देकर समझाता हूं विज्ञान के सबसे ज्यादा प्रयोग में आने वाले अविष्कार ईंधन से चलते हैं जोकि प्रदूषण का एक बहुत बड़ा कारण है प्रदूषण की वजह से चारों तरफ नकारात्मक ऊर्जा फैल गई है जिस कारण लाइलाज और भयंकर बीमारियां फैल रही है  और इसी नकारात्मक ऊर्जा के कारण लड़ाई-झगड़े, गुंडागर्दी, मारकाट बहुत ज्यादा बढ़ गई है इसी कारण हर व्यक्ति परेशान रहने लगा है और अपने स्वार्थ में अंधा हो गया है। आज के समय में मनुष्य धन के लालच में इतना अंधा हो चुका है कि वह अपने सगे-संबंधियों को भी धन के लिए धोखा देने या मारने से भी नहीं चूकता। मनुष्य आज यह भी भूल गया है कि उसका जन्म पृथ्वी पर क्यों हुआ है। यहां तक की मनुष्य अपने आराम के लिए दूसरों का जीना भी हराम कर देता है। वही पहले के समय में एक मनुष्य दूसरा मनुष्य की मदद करता था और उसकी परेशानियों को अपना समझता था। पहले के समय में ना तो मनुष्य इतना आराम परस्त था और ना ही मनुष्य को आराम की आदत थी पहले का मनुष्य समझदार और मेहनती हुआ करता था और अपनी बुद्धि का उचित इस्तेमाल किया करता था परंतु आज के समय में मनुष्य इतना आराम परस्त हो गया है कि वह अपनी बुद्धि का प्रयोग ही नहीं करना चाहता। जब मनुष्य ने अपनी बुद्धि का प्रयोग करना ही छोड़ दिया तो वह अच्छे और बुरे में फर्क करना ही भूल गया इसी कारण आज के समय में मनुष्य केवल अपने बारे में ही सोच रहा है और प्रकृति को नुकसान पहुंच रहा है मनुष्य यह भी भूल गया कि अगर प्रकृति को नुकसान पहुंचाया तो वह मानव जाति को एक बड़े संकट में पहुंचा देगा यह भी हो सकता है की संपूर्ण मानव जाति ही नष्ट हो जाए। मानव जाति और पृथ्वी के नष्ट होने की भविष्यवाणियां पूर्व में हो चुकी है परंतु मनुष्य उनसे कुछ भी सीखना नहीं चाहता। और अगर मनुष्य अभी भी नहीं समझा तो पानी की बहुत बड़ी समस्या मानव जाति को झेलनी पड़ेगी जिस तरह से आज मनुष्य पानी बर्बाद कर रहा है आने वाले समय में पानी को लेकर ही लडाईयाँ शुरू हो जाएंगी। और पानी के लिए मनुष्य ही मनुष्य को मारना शुरु कर देगा। धीरे-धीरे करके सभी नदियां सूख जाएंगी और मनुष्य के पीने के लिए भी पानी नहीं बचेगा यहां तक की उस समय साइंस भी पानी नहीं बना पाएगा। विज्ञान के अविष्कारों ने मनुष्य को इतना आराम पसंद बना दिया है कि वह प्रकृति के बारे में कुछ सोचना ही नहीं चाहता है। इसीलिए मैं आप सभी से अपील करुंगा की पानी को बर्बाद होने से बचाएं क्योंकि जल ही जीवन है। 

इसे भी पढे़- कौन है मनुष्य? उसका जन्म क्यो हुआ? मनुष्य, जीवन और उद्धार पार्ट- 1

Monday, November 13, 2017

Science is Smaller Than Astrology साइंस ज्योतिष के आगे बोने से भी छोटा है।

मैंने अपनी पिछली पोस्ट में बताया था कि विज्ञान ज्योतिष से बहुत छोटा है। इसे मैं एक बहुत ही छोटे से उदाहरण से समझाता हूँ कि ज्योतिष की आवश्यता त्रेता युग में पड़ी इसका अर्थ यह नहीं है कि ज्योतिष के बारे में त्रेता युग में ही पता लगा अपितु ज्योतिष का उदय सतयुग में हुआ था और इसका अंत कलयुग में होगा। जबकि विज्ञान के आविष्कार कलयुग में ही प्रारंभ हुए और कलयुग में ही खत्म हो जाएंगे। त्रेता युग में रावण ज्योतिष का प्रकांड पंडित था जिसने सभी ग्रहों पर विजय प्राप्त कर रखी थी। अब यहां पर एक प्रश्न यह उठता है कि क्या ग्रहों का भी कोई शरीर या कोई काया थी जिस पर रावण ने विजय प्राप्त कर रखी थी या यह कोई काल्पनिक कहानी है। खैर यह एक बड़ा और विस्तृत टॉपिक है जिसे मैं आगे आने वाली अपनी पोस्ट में बताऊंगा। लेकिन आज हम बात कर रहे हैं कि ज्योतिष और विज्ञान में कौन श्रेष्ठ है।
वैज्ञानिक आज बहुत ही गर्व से कहते हैं की आज हम मंगल पर पहुंच गए हैं चंद्रमा पर पहुंच गए हैं और ब्रह्मांड से संबंधित बहुत सारी जानकारी हमने हासिल कर ली है। अरे भाई मैं पूछता हूं कि वैज्ञानिकों ने ग्रहों के बारे में ऐसी कौन सी महत्वपूर्ण जानकारी हासिल कर ली है जो ज्योतिष में नहीं हैं यह सब जानकारी तो पहले से ही ज्योतिष के माध्यम से पता लग चुकी है बल्कि ज्योतिष तो विज्ञान से एक कदम और भी आगे हैं ज्योतिष के अन्तर्गत हम ग्रहों की गणना करके भूत वर्तमान और भविष्य बता सकते हैं परंतु विज्ञान को अभी तक यही पता करना मुश्किल पड़ रहा है की पृथ्वी का विनाश सूर्य के अन्दर सामाने से होगा या जब सूर्य का अंत होगा तब पृथ्वी का भी अंत हो जाएगा ऐसे बहुत सारे कंफ्यूजन है जिसमें विज्ञान और वैज्ञानिक दोनों अभी तक बहुत ही ज्यादा उलझे हुए हैं। जबकि ज्योतिष के माध्यम से यह बताया जा सकता है कि पृथ्वी का अंत कब और कैसे होगा।
  आज के समय में अगर किसी गलत गणना या किसी अज्ञानी ज्योतिषी की गलती से कोई भविष्यवाणी गलत हो जाती है तो लोग सीधे तौर पर ज्योतिष को नकार देते कि ज्योतिष साइंटिफिक नहीं है। अब हम साइंटिफिक तरीके की बात करते हैं। थॉमस अल्वा एडिसन विश्व के महान वैज्ञानिको में एक है जिन्होंने इलेक्ट्रिक बल्ब का आविष्कार किया है। इस बल्ब के आविष्कार करने में एडिसन ने 10,000 से ज्यादा एक्सपेरिमेंट किए और हर बार फेल हुऐ थे। इसका मतलब यह नहीं साइंस गलत है। बस साइंस को समझने में और उसका  इस्तेमाल करने में एडीसन को थोड़ी देर लग गयी या फिर यह कहें की साइंस के उस सूत्र को समझने में थॉमस अल्वा एडीसन ने देर कर दी जिससे बल्ब बनता है। जब 10,000 से ज्यादा एक्सपेरिमेंट फेल होने के बाद भी साइंस को गलत नहीं माना जा सकता। तो फिर कुछ अज्ञानी ज्योतिषियों द्वारा की गयी गलत भविष्यवाणियों की वजह से ज्योतिष को कैसे गलत कहा जा सकता है। ज्योतिष साइंस से ज्यादा मजबूत और स्पष्ट है बस देर है तो उसे ठीक से समझने की। यह पोस्ट कुछ ज्यादा ही लंबी हो गई इसलिए इसे हम आगे भी क्रमशः रखेंगे। आगे में आपको बताऊंगा कि विज्ञान किस तरीके से पृथ्वी को विनाश की ओर ले जा रहा है और वहीं दूसरी तरफ ज्योतिष किस तरह पृथ्वी को विनाश से बचाने के प्रयास कर रहा है।

Sunday, November 12, 2017

Is The Person a Puppet of The Hands of Planets क्या मनुष्य ग्रहों के हाथ की कठपुतली है?

मैंने अपनी पिछली पोस्ट में बताया था कि ग्रह किस प्रकार मनुष्य के ऊपर प्रभाव डालते हैं । तो अब यह प्रश्न उठता है कि क्या मनुष्य वही करता है जो ग्रह करवाते हैं क्या मनुष्य ग्रहों के हाथ की कठपुतली है ?
  यह कहना ठीक नहीं होगा की मनुष्य वही करता है जो ग्रह मनुष्य से करवाते हैं। परंतु यह सत्य है की मनुष्य जो भी सोचता है वह ग्रहों की चाल और ग्रहो की एनर्जी के अनुपात के हिसाब से ही सोचता है। ज्योतिष के माध्यम से यह बताया जा सकता है कि मनुष्य किस समय क्या सोचेगा। परंतु सोचने के बाद मनुष्य स्वतंत्र है कि वह क्या कर्म करे। इसीलिए मनुष्य के पास बुद्धि है कि वह सोच सके, समझ सके और सोच समझकर अपने कर्म को कर सके। अगर मनुष्य अच्छे कर्म करता है  तो उसका आने वाला समय भी अच्छा होगा और अगर  मनुष्य खराब और बुरे कर्म करता है तो निश्चित ही उसका आने वाला समय भी खराब और बुरा ही होगा। मनुष्य अपने आने वाले समय बदल सकता है परंतु अपने पुराने और पिछले कर्मों के अच्छे या बुरे फल को नहीं बदल सकता यह फल मनुष्य को भोगना ही पड़ता है। पिछले कर्मो का फल मनुष्य को ग्रहों के चाल के हिसाब से भोगना पड़ता है।
मनुष्यों के साथ साथ ग्रहों का प्रभाव पृथ्वी के वातावरण पर भी पड़ता है। पृथ्वी के आरंभ से लेकर पृथ्वी के अंत तक इन ग्रहों का ही प्रभाव पृथ्वी पर बना रहेगा। मेरा तात्पर्य है कि पृथ्वी के प्रारंभ से लेकर पृथ्वी के अंत तक ज्योतिष हमेशा बना रहेगा। पृथ्वी पर सभी सत्यों में एक सत्य ज्योतिष भी है। पूरी पृथ्वी और अन्य ग्रह ज्योतिष के अंदर ही समाये हुऐ है ज्योतिष को कोई मनुष्य नकार नहीं सकता है। परंतु दुर्भाग्य के साथ यह कहना पड़ रहा है की कुछ अज्ञान और नासमझ लोगों के कारण ही ज्योतिष बदनाम हो गया है और लोगों का विश्वास ज्योतिष उठ गया है। प्राचीन काल में सिद्ध ऋषि मुनि इसी शास्त्र के जरिए बड़ी-बड़ी भविष्यवाणियां कर दिया करते थे जो आज भी सटीक साबित होती है जिन्हें नकारा नहीं जा सकता है। आज लोगों ने ज्योतिष को व्यापार बना दिया है और लोगों को डरा डरा कर उनको ठगने और उनसे रुपए वसूलने का धंधा बना लिया हैं। मैं आपको बता दूं की ज्योतिष शास्त्र के अंदर पूरे विश्व के राज छुपे हुए हैं बस देर हैं तो उन्हें ठीक से समझ कर उजागर करने की। मैं अक्सर यह सुनता रहता हूं कि साइंस ज्योतिष को नहीं मानता है इसलिए ज्योतिष झूठ है। इसका एक बहुत सटीक और सही उत्तर है कि साइंस अभी तक ज्योतिष को समझ ही नहीं पाया है अगर मैं दूसरे शब्दों में कहूं तो साइंस अभी तक ज्योतिष में बताई जानकारियों से अवगत ही नहीं है। ज्योतिष इतना विस्तृत है कि साइंस अभी तक ज्योतिष में दिये ज्ञान के पास भी नहीं पहुंच पाया है इसीलिए साइंस ज्योतिष को नकारता रहा है। साइंस और ज्योतिष के बारे में मैं अपने आने वाली पोस्ट में विस्तृत जानकारी दूंगा की साइंस किस तरह ज्योतिष के आगे एक बोने से भी छोटा है।
यह पोस्ट मैं आप लोगों को समझाने के लिख रहा हूं तो कृपया कमेंट बॉक्स में बताते रहे कि मैं जो समझा रहा हूं वह आप लोग ठीक से समझ पा रहे हैं या नहीं। या फिर पोस्ट को और ज्यादा विस्तृत करके आपको बताऊं। अगर आप भी कोई प्रश्न या कोई समस्या का समाधान चाहते हैं तो नीचे कमेंट बॉक्स में लिख कर पूछ सकते हैं।

Saturday, November 11, 2017

ज्योतिष क्या है और यह कैसे कार्य करता है? सृष्टि के घटना चक्र में ज्योतिष कितना प्रभावी है

ज्योतिष के बारे में वैसे आप सभी जानते हैं परंतु मैं आपको  यहां पर रटा-रटाया या किताबी ज्ञान से हटकर कुछ प्रैक्टिकल बाते बताना चाहूंगा कि ज्योतिष की उत्पत्ति कैसे हुई, कैसे ज्योतिष कार्य करता है, ज्योतिष का असल मूल बेस क्या है और मनुष्य के जीवन में ज्योतिष कितना प्रभावी है। मैं चाहता हूं कि आप ज्योतिष के माध्यम से इस पूरी सृष्टि के घटना चक्र को अच्छे से समझे।
परमात्मा ने सर्वप्रथम यह ब्रम्हांड बनाया इसी ब्रह्मांड में हमारी पृथ्वी है इस पृथ्वी के आसपास अनेकों उल्कापिंड और ग्रह हैं जो हमारी पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाते हैं। चक्कर लगाते समय उन ग्रहों का प्रभाव पृथ्वी पर पड़ता है। यहां मैं एक एग्जांपल देता हूं जैसे सूर्य और चंद्रमा के घूमने से पृथ्वी पर दिन और रात होती है उसी तरह बाकी ग्रहों के घूमने से भी उनका प्रभाव धरती पर पड़ता है। ज्योतिष शास्त्र के अंन्दर उन्हीं प्रमुख ग्रहों को लिया गया जो कि पृथ्वी पर अपना प्रभाव और अपनी एनर्जी छोड़ते हैं जिस प्रकार सूर्य की एनर्जी और किरणे धरती पर आती है और पृथ्वी गरम हो जाती है उसी तरह अन्य ग्रहों की भी एनर्जी धरती पर आती है और उनका प्रभाव धरती पर होता हैं। इन्हीं ग्रहों की चाल से होने वाले प्रभाव से भूत भविष्य और वर्तमान की गणना की जाती है। इनके ग्रहों पर उनके वातावरण के हिसाब से प्रतिक्रियाएं होती रहती हैं उसी हिसाब से इनका एनर्जी और उस ग्रह का रंग भी अलग अलग होता है। जिस तरह सूर्य आग का गोला है और सूर्य पर आग ही आग है इसीलिए सूर्य की गरम और सुनहरे रंग की एनर्जी धरती पर आती है इसी प्रकार चंद्रमा पर बहुत ज्यादा ठंडक है इसीलिए चंद्रमा की शीतल और सफेद एनर्जी पृथ्वी पर आती है। इसी प्रकार से मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र और शनि की अलग अलग एनर्जी भी
पृथ्वी पर आती है।  अगर हम ग्रहों के रंग की बात करें तो सूर्य सुनहरे रंग का, चंद्रमा सफेद रंग का, मंगल लाल रंग का, बुद्ध हरे रंग का, गुरु पीले रंग का, शुक्र गुलाबी रंग का और शनी नीले रंग का है और इन्ही रंग की एनर्जी पृथ्वी पर आती है। यही एनर्जी मनुष्य को प्रभावित करती है और इन्हीं ग्रहों से आ रही एनर्जी गणना करके  उसका फलादेश बताना ही ज्योतिष है। अब यहां पर दो प्रश्न दिमाग में घूमते हैं कि : 
प्रश्न नंबर 1 - ब्रह्मांड की उत्पत्ति कैसे हुई? और 
प्रश्न नंबर 2 - मनुष्य जो भी कर्म करता है तो क्या वह कर्म  ग्रह कराते हैं?
इन दोनों प्रश्नों का उत्तर मैं जल्दी अपनी आने वाली पोस्ट में दूंगा। अगर आपका भी कोई प्रश्न या समस्या हो तो आप नीचे कमेंट बॉक्स में पूछ सकते हैं।

Friday, November 10, 2017

ज्योतिष के बारे में

 ज्योतिष  एक बहुत ही प्राचीन शास्त्र है  जिसके माध्यम से  भूत वर्तमान और भविष्य  आसानी से देखा जा सकता है  और ज्योतिष के द्वारा ही  भविष्य में होने वाली  परेशानियों का उपाय भी किया जाता है। प्राचीन काल से ही ऋषि मुनि इस शास्त्र का प्रयोग करते आए हैं यह शास्त्र 100% सही है  परंतु कुछ अज्ञानी लोगों ने शास्त्रों का दुरुपयोग कर लोग को ठगना शुरू कर दिया जिस कारण आज ज्योतिषियों को बड़ी ही हीन भावना से देखा जाता है परंतु इस ब्लॉग में हम आपको कुंडली देखने का सही तरीका बताएंगे इसे आप घर बैठे ही अपने तथा में रिश्तेदारों सभी की कुंडली देख कर उनका भविष्य बहुत आसानी से बता सकते हैं यह कोई टेक्निकल या मुश्किल काम नहीं है बल्कि ज्योतिष के कुछ सूत्र हैं जिसके माध्यम से ज्योतिषी कुंडली का विश्लेषण करते हैं अब हम आपको उन सूत्रों के बारे में बताएंगे जिससे आप आसानी से किसी की भी कुंडली देख सकते हैं और भविष्य में आने वाले खतरे को पहचान कर उसके उपाय भी कर सकते हैं। ज्योतिष शास्त्र एक बहुत बड़ा शास्त्र है संपूर्ण शास्त्र के बारे में जानकारी देना बहुत ही ज्यादा कठिन है परंतु कुछ  जानकारी हम आपको बताएंगे यह जानकारी उन लोगों के लिए है जो अभी-अभी ज्योतिष सीखना चाहते हैं धीरे-धीरे करके हम आपको ज्योतिष से संबंधित रिसर्च के बारे में भी समय समय पर आपको बताते रहेंगे अगर आप ज्योतिष के बारे में ज्ञान रखते हैं तो अच्छी बात है परंतु यहां पर हम कोशिश करेंगे की ज्योतिष के बारे में ज्यादा से ज्यादा सही जानकारी आप को दें।

How to Make The Universe? ब्रह्मांड की उत्पत्ति कैसे हुई? कैसे बना यह ब्रह्मांड?

   हम जो आज हमारे चारों ओर ये पेड़ पौधे देख रहे हैं इन सब का निर्माण सालों पहले हुई एक घटना के कारण हुआ है उस वक्त समय जीरो था अर्थात...