कल हम बात कर रहे थे कि साइंस दुनिया को विनाश की ओर ले जा रहा है। साइंस के द्वारा आविष्कार कलयुग में शुरू हुए और लोगों ने इन आविष्कारों को अपनी जरूरत के हिसाब से इस्तेमाल करना शुरु कर दिया। तो क्या सतयुग, त्रेता युग और द्वापर युग में लोगों की आवश्यकतायें पूरी नहीं होती थी या फिर उन्हें साइंस की आवश्यकता ही नहीं थी। ऐसा कुछ भी नहीं है कलयुग से पूर्व के युगों में मनुष्य जानता था कि विज्ञान के आविष्कार मानव जाति के लिए खतरा बन जाएंगे जो पृथ्वी को अंत की ओर धकेल देंगे इसीलिए वह केवल उन्हीं चीजों के आविष्कार करते थे जोकि मानव जाति के लिए हितकर और लाभदायक हो। अगर देखा जाए तो ज्योतिष मे भविष्यवाणियां गलत होने में विज्ञान का भी हाथ रहा है। इसे मैं एक उदाहरण देकर समझाता हूं विज्ञान के सबसे ज्यादा प्रयोग में आने वाले अविष्कार ईंधन से चलते हैं जोकि प्रदूषण का एक बहुत बड़ा कारण है प्रदूषण की वजह से चारों तरफ नकारात्मक ऊर्जा फैल गई है जिस कारण लाइलाज और भयंकर बीमारियां फैल रही है और इसी नकारात्मक ऊर्जा के कारण लड़ाई-झगड़े, गुंडागर्दी, मारकाट बहुत ज्यादा बढ़ गई है इसी कारण हर व्यक्ति परेशान रहने लगा है और अपने स्वार्थ में अंधा हो गया है। आज के समय में मनुष्य धन के लालच में इतना अंधा हो चुका है कि वह अपने सगे-संबंधियों को भी धन के लिए धोखा देने या मारने से भी नहीं चूकता। मनुष्य आज यह भी भूल गया है कि उसका जन्म पृथ्वी पर क्यों हुआ है। यहां तक की मनुष्य अपने आराम के लिए दूसरों का जीना भी हराम कर देता है। वही पहले के समय में एक मनुष्य दूसरा मनुष्य की मदद करता था और उसकी परेशानियों को अपना समझता था। पहले के समय में ना तो मनुष्य इतना आराम परस्त था और ना ही मनुष्य को आराम की आदत थी पहले का मनुष्य समझदार और मेहनती हुआ करता था और अपनी बुद्धि का उचित इस्तेमाल किया करता था परंतु आज के समय में मनुष्य इतना आराम परस्त हो गया है कि वह अपनी बुद्धि का प्रयोग ही नहीं करना चाहता। जब मनुष्य ने अपनी बुद्धि का प्रयोग करना ही छोड़ दिया तो वह अच्छे और बुरे में फर्क करना ही भूल गया इसी कारण आज के समय में मनुष्य केवल अपने बारे में ही सोच रहा है और प्रकृति को नुकसान पहुंच रहा है मनुष्य यह भी भूल गया कि अगर प्रकृति को नुकसान पहुंचाया तो वह मानव जाति को एक बड़े संकट में पहुंचा देगा यह भी हो सकता है की संपूर्ण मानव जाति ही नष्ट हो जाए। मानव जाति और पृथ्वी के नष्ट होने की भविष्यवाणियां पूर्व में हो चुकी है परंतु मनुष्य उनसे कुछ भी सीखना नहीं चाहता। और अगर मनुष्य अभी भी नहीं समझा तो पानी की बहुत बड़ी समस्या मानव जाति को झेलनी पड़ेगी जिस तरह से आज मनुष्य पानी बर्बाद कर रहा है आने वाले समय में पानी को लेकर ही लडाईयाँ शुरू हो जाएंगी। और पानी के लिए मनुष्य ही मनुष्य को मारना शुरु कर देगा। धीरे-धीरे करके सभी नदियां सूख जाएंगी और मनुष्य के पीने के लिए भी पानी नहीं बचेगा यहां तक की उस समय साइंस भी पानी नहीं बना पाएगा। विज्ञान के अविष्कारों ने मनुष्य को इतना आराम पसंद बना दिया है कि वह प्रकृति के बारे में कुछ सोचना ही नहीं चाहता है। इसीलिए मैं आप सभी से अपील करुंगा की पानी को बर्बाद होने से बचाएं क्योंकि जल ही जीवन है।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
How to Make The Universe? ब्रह्मांड की उत्पत्ति कैसे हुई? कैसे बना यह ब्रह्मांड?
हम जो आज हमारे चारों ओर ये पेड़ पौधे देख रहे हैं इन सब का निर्माण सालों पहले हुई एक घटना के कारण हुआ है उस वक्त समय जीरो था अर्थात...
-
मैंने अपनी पिछली पोस्ट में बताया था कि ग्रह किस प्रकार मनुष्य के ऊपर प्रभाव डालते हैं । तो अब यह प्रश्न उठता है कि क्या मनुष्य वही करता है...
-
ज्योतिष के बारे में वैसे आप सभी जानते हैं परंतु मैं आपको यहां पर रटा-रटाया या किताबी ज्ञान से हटकर कुछ प्रैक्टिकल बाते बताना चाहूंगा कि ज्...
-
मैंने अपनी पिछली पोस्ट में बताया था कि विज्ञान ज्योतिष से बहुत छोटा है। इसे मैं एक बहुत ही छोटे से उदाहरण से समझाता हूँ कि ज्योतिष की आवश्...
No comments:
Post a Comment