Sunday, November 12, 2017

Is The Person a Puppet of The Hands of Planets क्या मनुष्य ग्रहों के हाथ की कठपुतली है?

मैंने अपनी पिछली पोस्ट में बताया था कि ग्रह किस प्रकार मनुष्य के ऊपर प्रभाव डालते हैं । तो अब यह प्रश्न उठता है कि क्या मनुष्य वही करता है जो ग्रह करवाते हैं क्या मनुष्य ग्रहों के हाथ की कठपुतली है ?
  यह कहना ठीक नहीं होगा की मनुष्य वही करता है जो ग्रह मनुष्य से करवाते हैं। परंतु यह सत्य है की मनुष्य जो भी सोचता है वह ग्रहों की चाल और ग्रहो की एनर्जी के अनुपात के हिसाब से ही सोचता है। ज्योतिष के माध्यम से यह बताया जा सकता है कि मनुष्य किस समय क्या सोचेगा। परंतु सोचने के बाद मनुष्य स्वतंत्र है कि वह क्या कर्म करे। इसीलिए मनुष्य के पास बुद्धि है कि वह सोच सके, समझ सके और सोच समझकर अपने कर्म को कर सके। अगर मनुष्य अच्छे कर्म करता है  तो उसका आने वाला समय भी अच्छा होगा और अगर  मनुष्य खराब और बुरे कर्म करता है तो निश्चित ही उसका आने वाला समय भी खराब और बुरा ही होगा। मनुष्य अपने आने वाले समय बदल सकता है परंतु अपने पुराने और पिछले कर्मों के अच्छे या बुरे फल को नहीं बदल सकता यह फल मनुष्य को भोगना ही पड़ता है। पिछले कर्मो का फल मनुष्य को ग्रहों के चाल के हिसाब से भोगना पड़ता है।
मनुष्यों के साथ साथ ग्रहों का प्रभाव पृथ्वी के वातावरण पर भी पड़ता है। पृथ्वी के आरंभ से लेकर पृथ्वी के अंत तक इन ग्रहों का ही प्रभाव पृथ्वी पर बना रहेगा। मेरा तात्पर्य है कि पृथ्वी के प्रारंभ से लेकर पृथ्वी के अंत तक ज्योतिष हमेशा बना रहेगा। पृथ्वी पर सभी सत्यों में एक सत्य ज्योतिष भी है। पूरी पृथ्वी और अन्य ग्रह ज्योतिष के अंदर ही समाये हुऐ है ज्योतिष को कोई मनुष्य नकार नहीं सकता है। परंतु दुर्भाग्य के साथ यह कहना पड़ रहा है की कुछ अज्ञान और नासमझ लोगों के कारण ही ज्योतिष बदनाम हो गया है और लोगों का विश्वास ज्योतिष उठ गया है। प्राचीन काल में सिद्ध ऋषि मुनि इसी शास्त्र के जरिए बड़ी-बड़ी भविष्यवाणियां कर दिया करते थे जो आज भी सटीक साबित होती है जिन्हें नकारा नहीं जा सकता है। आज लोगों ने ज्योतिष को व्यापार बना दिया है और लोगों को डरा डरा कर उनको ठगने और उनसे रुपए वसूलने का धंधा बना लिया हैं। मैं आपको बता दूं की ज्योतिष शास्त्र के अंदर पूरे विश्व के राज छुपे हुए हैं बस देर हैं तो उन्हें ठीक से समझ कर उजागर करने की। मैं अक्सर यह सुनता रहता हूं कि साइंस ज्योतिष को नहीं मानता है इसलिए ज्योतिष झूठ है। इसका एक बहुत सटीक और सही उत्तर है कि साइंस अभी तक ज्योतिष को समझ ही नहीं पाया है अगर मैं दूसरे शब्दों में कहूं तो साइंस अभी तक ज्योतिष में बताई जानकारियों से अवगत ही नहीं है। ज्योतिष इतना विस्तृत है कि साइंस अभी तक ज्योतिष में दिये ज्ञान के पास भी नहीं पहुंच पाया है इसीलिए साइंस ज्योतिष को नकारता रहा है। साइंस और ज्योतिष के बारे में मैं अपने आने वाली पोस्ट में विस्तृत जानकारी दूंगा की साइंस किस तरह ज्योतिष के आगे एक बोने से भी छोटा है।
यह पोस्ट मैं आप लोगों को समझाने के लिख रहा हूं तो कृपया कमेंट बॉक्स में बताते रहे कि मैं जो समझा रहा हूं वह आप लोग ठीक से समझ पा रहे हैं या नहीं। या फिर पोस्ट को और ज्यादा विस्तृत करके आपको बताऊं। अगर आप भी कोई प्रश्न या कोई समस्या का समाधान चाहते हैं तो नीचे कमेंट बॉक्स में लिख कर पूछ सकते हैं।

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